आर्य और काली छड़ी का रहस्य-46
अध्याय-16
समारोह
भाग-1
★★★
2 दिन बाद
आज आश्रम अपने अलग ही रंग में था। आश्रम में जगह-जगह चीजों को दीयों की रोशनी से सजाया गया था। आश्रम की समस्त झोपड़ियों पर लाइट से जलने वाले बल्ब लगे हुए थे। आश्रम की बड़ी इमारतें जिनमें खासकर भोजनालय और पुस्तकालय शामिल था उन पर लाइटों की संख्या ज्यादा थी। आश्रम की पगडंडियों के दोनों और ही आग की जलती हुई मशालों को लगाकर पगडंडी को आकर्षक और सुंदर बनाया गया था। उन पर चलते वक्त ऐसी फीलिंग आती थी जैसे कोई किसी बड़े और आलीशान महल में जा रहा है। आश्रम का जो सरोवर था उसके पानी में फूलों के ऊपर रखें दीए तैर रहे थे। इन तरतें दियों की वजह से सरोवर का पानी पीले रंग से चमक रहा था।
इन सबके बीच आर्य और हिना एक पगडंडी पर चलते हुए दिखाई दिए। हिना ने काले रंग का गाउन पहन रखा था जो उसे कुछ ज्यादा से भी ज्यादा बेहतर लुक दे रहा था। उसने अपने बाल खोल रखे थे जो हमेशा ही खुले हुए होते हैं और उन्हें अच्छे से अपने कंधों पर सजा रखा था। उसके बालों का एक हिस्सा पीछे भी था जो जुड़े के रूप में था। बालों के इस अलग से डिजाइन की वजह से वह आस-पास के लड़कों के आकर्षण का कारण बन रही थी। वहीं उसके साथ चल रहे आर्य ने कोट पेंट पहन रखा था। उसके पास कोट पेंट नहीं था तो यह उसे आयुध ने दिया। यहां आश्रम में लगभग हर एक पुराने सदस्य के पास अपना कोट पैंट था जो आश्रम में वक्त दर वक्त विद्यार्थियों को खरीद कर दिया जाता था। आर्य अभी नया था तो उसकी बारी नहीं आई थी। मगर वह अपने कोट पेंट के लिए हमेशा आयुध को शुक्रिया कहता रहेगा। आर्य ने कोर्ट पैंट को लेकर ध्यान दिया था कि उसके कोट पेंट में एक खासियत थी, शायद इसे कमी भी कहा जा सकता है, उसकी फिटिंग ठीक से नहीं थी। इस वजह से आर्य को वह थोड़ा ढीला ढाला लग रहा था। उसने अपने बालों को तेल लगा कर ठीक से सजा रखा था, काॅलर पर लाल रंग का रिबन बंधा था, काले रंग के जूते पॉलिश किए हुए थे, और इन सब ने मिलकर आर्य के शानदार लुक को अपनी तरफ से और शानदार कर दिया। दोनों ही चलते वक्त जच रहे थे।
हिना ने चलते-चलते आर्य के बाएं हाथ की बाजू पकड़ लीं। बाजू पकड़ते हुए वह बोली “तुम आश्रम देख रहे हो? नए साल की रोनक में आश्रम भी आज खूब चमक रहा है। वैसे तुम्हारा तो यह यहां का पहला नया साल है, तो तुम्हारे लिए तो सब नया होगा ना।”
आर्य एक मीठी हंसी हंसते हुए बोला “हां, अगर मैं यहां पहली बार आया हूं तो सब नया ही होगा। पहली बार आने के बाद कोई कुछ पुराना कैसे हो सकता है?”
हिना ने आर्य की बाएं हाथ के बाजू को पकड़ने वाले हाथ को उसकी साइड पर मारा “टॉटं मत मारो, जानती हूं बोलते वक्त फबंल कर गई... । मगर फिर भी मेरे कहने का मतलब यह नहीं था। मेरे कहने का मतलब था कि तुम्हारे लिए यह एक नया एक्सपीरियंस होगा।”
“हां नया एक्सपीरियंस तो है। फिर मेरे लिए यह भी नया एक्सपीरियंस है कि तुम मेरे साथ चल रही हो।”
हिना के गाल फिर से लाल हो गए “वो तो आश्रम में हर एक लड़का लड़की के साथ चल रहा है। मतलब इस बार का नया समारोह मॉडर्न तरीके से मनाया जा रहा है, तो मॉडर्न तौर-तरीकों का पालन किया जा रहा है। हम समारोह में भी साथ-साथ रहेंगे। फिर डांस भी साथ-साथ करना है।” अचानक डांस का ख्याल आते हिना बोली “अच्छा तुमने डांस की प्रैक्टिस तो कर ली थी ना.... देखना कहीं समारोहों में डांस की बैंड मत बजा देना।”
“मैंने तो पहले ही कहा था मुझे डांस आता है। लड़की को झूलाने में क्या दिक्कत आने वाली है...” इसके बाद वह अपने बालों में हाथ फेरता हुआ बोला “फिर तुम शायद यह जानती नहीं, तुम्हारे भाई ने भी मुझे डांस को लेकर खास ट्रेनिंग दी है। उसने कहा कि कहीं डांस में मेरी बहन की बेजती मत करवा देना। इसलिए तुम्हें सीखा रहा हूं बाकी और कोई दूसरा मतलब नहीं।”
“हह... मेरा भाई...” हिना ने हंसते हुए कहा “वो थोड़ा ओवरथिंकिंग है। कभी-कभी कुछ चीजों के बारे में ज्यादा सोच लेता है।”
“हां मगर दिल का बहुत अच्छा है। फ्रेंडली है और काफी सपोर्ट भी करता है। मैं सोच रहा हूं क्यों ना उसे हमेशा हमेशा के लिए अपने कमरे में रख लूं। मगर, अगर उसकी मर्जी हुई तो! हमारी अच्छी बनने लगी है तो शायद हम कमरे में भी अच्छे बनकर रहें। फिर लड़कों में भी यहां मेरा कोई दोस्त नहीं तो वह मेरा पहला दोस्त भी हो जाएगा।”
“यह तो एक अच्छा आईडिया है। तुम उससे इस बारे में बात कर लेना। जब से उसे तुम्हारे भविष्यवाणी वाले लड़के होने के बारे में पता चला है तब से वह तुम्हारा फेन हो गया है। फिर तुमने काली छड़ी को भी मार दिया है तो इस बात ने उसे तुम्हारा दीवाना बना दिया। मुझे नहीं लगता वह मना करेगा।”
“यह तो जब उससे बात करेंगे तभी पता चलेगा। देखते हैं और उसके मन में है क्या।”
चलते चलते दोनों उस जगह तक पहुंच गए जहां सभी विद्यार्थी इकट्ठा हो रहे थे। यह जगह भोजनालय के दाएं तरफ बने खुले मैदान में थी। पूरी जगह झिलमिल रोशनी से चमक रही थी। फिर झिलमिल रोशनी में काले गाउन और काले कोट पेंट में घूमते फिरते विद्यार्थी इसे और भी शानदार बना रहे थे। आज आश्रम के गुरु भी अलग ही कपड़ों में दिखाई दे रहे थे। सभी गुरुओं ने नवाबी पोशाक पहन रखी थी, और सब एक और रखें गोल कुर्सी मेज के इर्द-गिर्द बैठे थे। आर्य को आचार्य भी दिखें। हालांकि यहां अचार्य वर्धन और आचार्य ज्ञरक नहीं थें। आचार्य ज्ञरक वेधशाला में आचार्य वर्धन की देखभाल कर रहे थे। उन्हें होश तो आ गया था मगर वह अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे। उनकी गैरमौजूदगी में आचार्य वीरसेन समारोह का नेतृत्व कर रहे थे।
जल्द ही आर्य और हिना वहां के बाकी छात्रों में शामिल हो गए। हिना का हाथ अभी भी आर्य की बाजू में था। कुछ विद्यार्थियों ने मुस्कुराकर उन दोनों से बात की। तकरीबन थोड़ी देर बीत जाने के बाद आर्य और हिना को आयुध दिखा। वह अपने साथ किसी घुंघराले बालों वाली लड़की को भी ला रहा था।
आयुध दोनों के पास आया और बोला “कैसे हो तुम दोनों, यह देखो मेरी पार्टनर..” उसने लड़की की तरफ इशारा किया “इसका नाम ईशा है, हम दोनों भोजनालय में साथ में खाना बनाते हैं, वहां मैंने इसे डांस का पूछा और यह मान गई।”
ईशा ज्यादा गोरी नहीं थी मगर वह काली भी नहीं थी। घुंघराले बालों की वजह से वह कहीं ना कहीं आश्रम की दूसरी लड़कियों से अलग दिख रही थी।
आर्य और हिना दोनों ने उस लड़की को हाय कहा। फिर हैंडशेक भी हुआ। इसके बाद आयुध ने ईशा को हिना के पास छोड़ दिया और आर्य को लेकर उन दोनों से दूर चला गया। वहां उसने धीमी आवाज में आर्य को कहा “देखो तुम्हें डांस के स्टेप तो याद है ना। कोई भी स्टेप भूल मत जाना। खासकर कमर वाला स्टेप।”
“हां मैंने सब अच्छे से याद किए हैं।” आर्य ने उसी के अंदाज में उसे जवाब दिया “कुल 4 स्टेप है जिन्हें मुझे एक के बाद एक दोहराते जाना है। फिर जब डांस खत्म होगा तो आखिर में झुककर सभी को वो अंग्रेजों वाला नमस्ते कहना है”
“अरे वह अंग्रेजों वाला नमस्ते नहीं अंग्रेजों वाला शुक्रिया है। तुम्हें सभी को अंग्रेजों वाला शुक्रिया कहना है।”
“जो भी हो क्या फर्क पड़ता है। बस मुझे पता है कि उसे कैसे करना है, तो तुम टेंशन मत लो मैं अच्छे से कर दूंगा।”
आयुध ने पीछे मुड़कर ईशा की तरफ देखा। इसके बाद वह आर्य से बोला “तुम्हें वह लड़की कैसे लगी... मेरी जान पहचान में बस एक वही लड़की थी।”
आर्य भी पीछे मुड़कर ईशा की तरफ देखने लगा “देखने में तो अच्छी है। फिर तुम दोनों काफी जच भी रहे हो तो मुझे नहीं लगता कोई बुरी चोइस है।”
आयुध अपने मुंह को भारी करता हुआ बोला “मुझे तो उसके बाल पसंद है। बिल्कुल मेगी जैसे हैं, अगर रंग काला ना होता तो मैं तो इसे चम्मच साथ खा जाता।”
दोनों हल्की हंसी हंसने लगे। दोनों ही वापिस हिना और ईशा की तरफ चल पड़े। चलते चलते आयुध ने एकदम से आर्य को कहा “देखो इस बात का ध्यान रखना, मैंने तुम्हें अपनी बहन के साथ डांस करने की इजाजत दी है, तुम दोनों अच्छे दोस्त भी हो, इन सब से मुझे किसी भी तरह का एतराज नहीं है। लेकिन मेरी बहन के ज्यादा क्लोज मत होना।”
“हां हां...” आर्य बोला “नहीं होने वाले हम एक दूसरे के क्लोज। हमारी दोस्ती बस दोस्ती तक ही रहेगी। आज भी, आगे आने वाले समय में भी, और शायद पूरे भविष्य में भी।”
जल्द ही दोनों ईशा और हिना के पास आ गए। हिना ने वंहा आंखें मोटी करते हुए आयुध से पूछा “यह तुमने आर्य को अकेले में ले जाकर क्या कहा... कहीं इसे किसी तरह की धमकी तो नहीं दे रहे थे। देखो अगर धमकी दी है तो बता दो, यहीं तुम्हारे कान के नीचे दो पड़ेंगी।”
“अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है।” आयुध ने आर्य की पीठ थपथपाई “मैं तो बस इसे कुछ काम की बातें बता रहा था। कुछ ऐसी काम की बातें जिससे यह आगे चलकर किसी तरह की गड़बड़ी ना करें।”
“क्या सच में आर्य...!” हिना ने आर्य से पूछा।
“हां” आर्य ने जवाब दिया “इसने मुझे काम की बातें ही बताई है। अब हम दोस्त हैं तो दोस्त के लिए इतना तो करना ही पड़ेगा। हर चीज की अहमियत इतनी आसानी से नहीं बनती।”
हिना ने सांस बाहर छोड़ी और फिर आर्य से कहा “अच्छा तुमने आयुध से अपने साथ कमरे में रहने वाली बात की.... मेरे ख्याल से यही बढ़िया मौका है.... तुम्हें इससे इस बारे में पूछ लेना चाहिए...?”
“आर्य के साथ उसके कमरे में....” आयुध थोड़ा हैरानी वाला मुंह बनाते हुए बोला। इसके बाद उसने आर्य की तरफ देखा और कहा “तुमने मुझे यह बात पहले क्यों नहीं बताई। मैं आज सुबह ही अपने एक दोस्त के साथ उसके कमरे में रहने का वादा करके आया हूं। क्या यार मैं तुम्हारे साथ रहने का मौका मिस नहीं करना चाहता था..... अगर तुम पहले बात करते तो मैं तुम्हारे साथ हर हाल में रहता।”
आर्य और हिना दोनों ही एक दूसरे को देखने लग गए। वहीं आयुध भी इस बात को लेकर निराश था कि उसने आर्य के साथ रहने का मौका छोड़ दिया। हिना उससे बोली “चलो कोई बात नहीं। अभी के लिए तुम अपने उस दोस्त के साथ रह लो, आगे चलकर आर्य के साथ आ जाना।”
“हां यह भी ठीक रहेगा।” आयुध ने हामी भर दी। इसके बाद उसने आर्य से पूछा “तुम्हारा क्या कहना है...? अगर मैं बाद में तुम्हारे साथ आऊं तो चलेगा...?”
“हां मुझे कोई एतराज नहीं। तुम्हारी जब मर्जी हो तुम आ सकते हो।” आर्य ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। इसके बाद आयुध और ईशा दोनों ही वहां से चले गए। दोनों के जाने के बाद आर्य हिना के पास आया और बोला “लगता है इसका विश्वास जीतने में अभी टाइम लगेगा। यह इतनी जल्दी लोगों पर विश्वास नहीं करता जितना जल्दी हम सोचते हैं।”
हिना भी हामी भरते हुए बोली “हां यह तो है.... मेरा भाई अक्सर सोच के परे ही सोचता है। खैर तुम ज्यादा सेंटी मत होना, जब तक तुम्हारे पास कोई दोस्त नहीं तब तक मैं हूं ना। अपनी दोस्ती में कभी किसी तरह की चीज नहीं आने वाली।” हिना के बोलने के बाद दोनों ही एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए।
तभी अचार्य वीरसेन अपनी जगह से खड़े हुए और समारोह में बनी एक ऊंची जगह पर जाकर माईक पर बोले “कृपया आश्रम के सभी छात्र ध्यान दें...”
उनके कहते ही सभी का ध्यान उस तरफ चला गया। आचार्य वीरसेन कुछ खास शब्द कहने वाले थे जिन्हें हर कोई सुनना चाहता था।
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